: चारों ट्रेकर SDRF की टीम को त्रियुगीनारायण गाउन के आस पास मिल गये हैं, सभी ठीक हैं!
मंगलवार को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिलान्तर्गत वासुकी ताल के नजदीक 4 ट्रैकरों के लापता होने की खबर सामने आयी थी, खबर आते ही सर्च अभियान शुरू कर दिया गया है!
सर्च ऑपरेशन में एसडीआरएफ की टीमों लगी हुई है, सर्च ऑपरेशन के लिए हेलीकॉप्टरों का सहारा भी लिया जा रहा है! अत्यधिक खराब मौसम होने के कारण सर्च टीमों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और अभी तक उनको किसी प्रकार की कोई सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है!
केदारनाथ से त्रियुगीनारायण रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो पुलिसकर्मी और दो पोर्टर भेजे गए हैं। सोनप्रयाग मून कुटिया से वासुकी ताल रूट पर पांच एसडीआरएफ, दो गाइड जिला आपदा सदस्य भेजे गए हैं। इसके अलावा वायु मार्ग से एसडीआरएफ माउंटेनिरिंग टीम का सदस्य विजेंदर कुड़ियाल सहस्त्र धारा हेलीपैड से हेलीकॉप्टर के माध्यम से रवाना हुआ। लापता ट्रैकर्स के नाम हिमांशु गुरुंग, हर्ष भंडारी, मोहित भट्ट और जगदीश बिष्ट हैं। इनका सम्भावित पता जनपद नैनीताल और देहरादून है।
वासुकी ताल का रूट अत्यंत जोखिम भरा है। मौसम यहां अक्सर साथ नहीं देता है। केदारनाथ धाम (11300 फीट) से लगभग 8 किलोमीटर दूर वासुकी ताल (13300 फीट) एक बेहद खूबसूरत छोटी झील है। केदारनाथ से वासुकी ताल पंहुचने के लिए मंदाकिनी के तट से लगे पुराने घोड़ा पड़ाव से होते हुए दूध गंगा के उद्गम की ओर सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है। नाक की सीध में 4 किमी की चढ़ाई चढ़कर खिरयोड़ धार (सबसे ऊंची जगह) के बाद पहली बार खुला मैदान दिखता है। यहां से 2 किमी हल्की चढ़ाई के बाद केदारनाथ-वासुकी ताल ट्रैक की सबसे ऊंचाई वाली जगह जय-विजय धार (14000 फीट) आती है। इस जय-विजय धार से लगभग 200 मीटर उतरकर वासुकी ताल के दर्शन होने लगते हैं। आगे की 2 किमी की दूरी पर बड़े-बड़े पत्थरों के बीच पैरों को संतुलित करना बेहद मुश्किल काम है।